ht.crest

काला_चश्मा

भूल जा
जो भी तुझे खटक रहा है।
जो भी तेरे दिमाग में
सांप की तरह भटक चला है।
चल आ
जी ले ज़िन्दगी को दूसरे नज़रिये से,
लगा
खुदगर्ज़ी का काला चश्मा।
फिर देख
जो तेरे दोस्त है
वो खुद के नशे में मदहोश है।
कोई और नहीं है तेरा
तेरे मा बाबा के अलावा।
जो भी समजता था तू
की सच है
भ्रम है वो सब।
लगा खुदगर्ज़ी का काला चश्मा
और देख
ना कोई अपना, ना कोई पराया
जिन्होंने तुझे आगे बढ़ाया
उसमे उनका भी कोई मतलब था
जो भी तुझे लगा प्यार है
जुठ, छल, भ्रम, वो सब था।

लगा काला चश्मा
और देख
कोई किसी का नहीं
अब भी तू सीखा नहीं
दोस्ती यारी ये सब माया है
तेरे असल दोस्त वहीं है
जिन्होंने तुझे बनाया है।

To reply via email, click here.